Khwaja Garib Nawaz Quotes - Spiritual Teachings | मुक़द्दस तालीमात
मुक़द्दस तालीमात - Khwaja Garib Nawaz Quotes In Hindi
हज़रत सैयदना ख्वाजा गरीब नवाज (R.A)
सुलतानुल हिंद हज़रत सैयदना ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) ने अपने अख़लाक, किरदार और इल्मी तथा रुहानी तस्नीफात के अलावा अपने मरीदों और मुआतक़िदों के साथ बैठकों में शेरिनी गुफ्तार और इल्मी देनी जवाहिर रेज़ो के ज़रिए जो तबलीग़-ए-दीन और तरविज-ए-सुन्नत के ताल्लुक से कारहाए नुमाया अंजाम दिए हैं, वह तारीख के सफ़्हात पर चाँद, सूरज, और सितारों की तरह आज भी अहले ईमान के दिलों को रौशनी और ताबनाकी अता कर रहे हैं। आप की ऐसी ही चंद तबलीगी नशिस्तों की गुफ्तगू और कलिमात-ए-खैर जिन्हें आम तौर पर "मालफूज़ात" के नाम से जाना जाता है।
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हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (R.A)
आपके अज़ीज़ तरीन मरीद खलीफा हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (R.A) ने इन्हें एकत्र करके "दलिलुल आरिफ़ीन" नामी किताब में महफूज़ कर दिया है, जिसके मुताले से पता चलता है कि सरकार-ए-ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) ने अपना तबलीगी और इस्लाही मिशन किस खुश-उस्लूबी के साथ पूरा किया है।
नमाज़ की अहमियत - Quotes On Khwaja Garib Nawaz
नमाज के बारे में फरमाया कि सिर्फ़ नमाज ही ऐसी इबादत है जिसके ज़रिये लोग बारगाह-ए-रब्बुल-इज़्ज़त से करीब हो सकते हैं, क्योंकि नमाज़ मोमिन की मेराज है जैसा कि हदीस शरीफ में आया है।
बवज़ू सोने के फायदे
आपने फरमाया कि जो शख्स रात को बवज़ू सोता है तो फरिश्तों को हुक्म होता है कि जब तक वह बेदार न हो, उसके सिरहाने खड़े होकर उसके हक़ में दुआ करते रहें कि ऐ रब्बुल इज़्ज़त, अपने इस बंदे पर अपनी रहमत नाज़िल फरमा क्योंकि यह नेक और तहारत के साथ सोया है।
दाहिने और बाएं हाथ के काम - Khwaja Garib Nawaz Quotes In Urdu
आपने हदीस-ए-पाक बयान करते हुए फरमाया कि हुज़ूर नबी करीम (स.अ.व) का इरशाद-ए-गिरामी है कि दाहिना हाथ मुँह धोने और खाना खाने के लिए है और बायां हाथ इस्तिंजा के लिए है।
मस्जिद में कैसे जाएं -
आपने फरमाया कि आदमी जब मस्जिद में दाखिल हो तो पहले अपना दाहिना पाँव मस्जिद में रखे और मस्जिद से बाहर निकलते वक्त बायाँ पाँव पहले बाहर निकाले, यह हुज़ूर नबी करीम (स.अ.व) की सुन्नत है।
आरिफ़ बिल्लाह
आपने फरमाया कि आरिफ़ वह शख्स है जो तमाम जहान को जानता हो और अपनी अकल से किसी चीज़ के लाखों म'आना बयान कर सकता हो, मोहब्बत की तमाम बारीकियों का जवाब दे सकता हो।
फज्र की नमाज के बाद मसलले पर बैठना
अहले इश्क़ो मा'रिफ़त फज्र की नमाज अदा करके आफताब तुलू होने तक अपनी जैनामाज़ पर ही बैठकर ज़िक्र-ए-हक करते रहें ताकि उसे अल्लाह की बारगाह में क़ुर्बो मकबूलियत हासिल हो।
इबलीस ल'ईन की मायूसी
मज़ीद इरशाद फरमाया कि, हज़रत ख्वाजा जुनैद बगदादी (R.A) ने अपनी किताब "उम्दा" में तह्रीर फरमाया है कि एक रोज़ रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने इब्लीस ल'ईन को बहुत मायूस और ग़मगीन देखा तो आप ने उससे इसका सबब दरयाफ्त फरमाया।
गुस्ले जिनाबत
हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन काकी (R.A) बयान करते हैं कि जुमा रात के दिन सैयदना ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) की कदम्बोसी की दौलत नसीब हुई। उस वक्त जिनाबत (वह नापाकी जिससे गुसल वाजिब होता है) से मुतालिक गुफ्तगू हो रही थी।
शरियत पर चलने वालों की इब्तेदा और इन्तेहा
फरमाया कि जो शख्स शरियत के अहकाम की पूरी पाबंदी करता है वह तरीकत की मंजिल पर पहुंच जाता है और अगर वह तरीकत के तमाम शराएत भी पूरी कर लेता है तो मारिफत की मंजिल में पहुंच जाता है।
नमाज एक अमानत है - Khwaja Garib Nawaz Quotes In English
सैयदना ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) ने अचानक अपना मोज़ू-ए-सुखन नमाज की तरफ फेर दिया और फरमाया कि नमाज एक अमानत है जो अल्लाह तआला ने अपने बंदों के सुपुर्द की है, तो बंदों पर वाजिब है कि अमानत में किसी किस्म की खयानत न करें।
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FAQs
Q1: ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) की तालीमात का मुख्य उद्देश्य क्या था?
A1: ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) की तालीमात का मुख्य उद्देश्य इस्लाम की सही तालीम को फैलाना और लोगों को सही राह दिखाना था। उनकी तालीमात में दीन और दुनिया दोनों की बेहतरी के लिए रहनुमाई मिलती है।
Q2: "दलिलुल आरिफ़ीन" किताब में क्या जानकारी मिलती है?
A2: "दलिलुल आरिफ़ीन" में ख्वाजा गरीब नवाज (R.A) के तबलीगी और इस्लाही मिशन के बारे में जानकारी मिलती है। यह किताब उनके मरीद खलीफा हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (R.A) द्वारा लिखी गई है।
Q3: बवज़ू सोने के क्या फायदे हैं?
A3: बवज़ू सोने से फरिश्ते रात भर उस व्यक्ति के लिए दुआ करते हैं और उसकी रूह को आर्श के नीचे ले जाते हैं, जहां उसे अल्लाह तआला की रहमत और बरकत नसीब होती है।
Q4: मस्जिद में दाखिल होने और बाहर निकलने का सही तरीका क्या है?
A4: मस्जिद में दाखिल होते समय पहले दाहिना पाँव रखें और बाहर निकलते समय पहले बायाँ पाँव रखें। यह हुज़ूर नबी करीम (स.अ.व) की सुन्नत है।
Q5: नमाज की अहमियत क्या है?
A5: नमाज एक अमानत है और मोमिन की मेराज है। यह इबादत है जिससे लोग बारगाह-ए-रब्बुल-इज़्ज़त से करीब हो सकते हैं और इस से नोरे इलाही हासिल होता है।
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